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आयुर्वेदिक उपचार: सर्दी और फ्लू से बचने के घरेलू उपाय

 सर्दी और फ्लू के मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे हमें बार-बार सर्दी-खांसी और बुखार का सामना करना पड़ता है। आधुनिक चिकित्सा में सर्दी और फ्लू के इलाज के लिए कई दवाएं हैं, लेकिन ये केवल लक्षणों से राहत देती हैं, जबकि आयुर्वेद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर इन बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इस लेख में हम सर्दी और फ्लू से बचने के कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू उपायों के बारे में जानेंगे। आयुर्वेदिक उपाय: पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के तरीके 1. अदरक और शहद का सेवन अदरक और शहद का मिश्रण सर्दी और खांसी से राहत दिलाने में बेहद असरदार होता है। अदरक में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो शरीर को संक्रमण से बचाते हैं, वहीं शहद में मौजूद प्राकृतिक एंजाइम इम्युनिटी को मजबूत करते हैं। उपयोग का तरीका: अदरक के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज सुबह खाली पेट लें। इससे सर्दी-खांसी में आराम मिलेगा और गले की खराश भी ठीक होगी। 2. तुलसी और गिलोय का काढ़ा तुलसी और गिलोय दोनों ही आयुर्वेद में विशेष महत्व रखते हैं। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो...

Ayurvedic Health Tips for a Healthy Life: Proper Diet and Routine

 आयुर्वेद, भारतीय चिकित्सा प्रणाली की एक प्राचीन पद्धति है, जिसका शाब्दिक अर्थ है "जीवन का विज्ञान"। आयुर्वेद का उद्भव हज़ारों साल पहले भारत में हुआ और यह आज भी हमारे दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह चिकित्सा प्रणाली न केवल रोगों के उपचार पर केंद्रित है, बल्कि यह स्वास्थ्य को बनाए रखने और जीवन को संतुलित और दीर्घायु बनाने पर भी जोर देती है। आयुर्वेद के अनुसार, मानव शरीर पंचतत्वों (धरती, जल, अग्नि, वायु, आकाश) से बना है और इसमें तीन दोषों—वात, पित्त और कफ—का संतुलन आवश्यक होता है।

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आयुर्वेदिक उपाय: शरीर को फिट रखने के लिए | Ayurvedic Remedies


स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:

आयुर्वेद का दृष्टिकोण केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को भी महत्वपूर्ण मानता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण के अनुसार, स्वस्थ जीवन का मूल मंत्र सही आहार, नियमित दिनचर्या, मानसिक शांति और प्राकृतिक जड़ी-बूटियों के उपयोग में है। यह प्रणाली व्यक्ति की व्यक्तिगत प्रकृति (दोषों) के अनुसार उपचार और जीवनशैली के सुझाव प्रदान करती है, जिससे शरीर और मन का संतुलन बना रहे।


उचित आहार और दिनचर्या का महत्व:

स्वस्थ जीवन के लिए उचित आहार और दिनचर्या का पालन अत्यंत आवश्यक है। आयुर्वेदिक विज्ञान में आहार को औषधि के रूप में देखा गया है, जो न केवल शरीर को पोषण प्रदान करता है, बल्कि उसे रोगों से बचाने में भी मदद करता है। इसी प्रकार, एक नियमित दिनचर्या शरीर को ऊर्जा प्रदान करती है और मन को शांत रखती है। जब आहार और दिनचर्या सही होते हैं, तब व्यक्ति प्राकृतिक रूप से स्वस्थ और स्फूर्तिवान बना रहता है। आयुर्वेदिक नियमों के अनुसार, शरीर की प्रकृति के अनुसार आहार का चयन और दिनचर्या का पालन करने से व्यक्ति दीर्घकाल तक स्वस्थ रह सकता है।


आयुर्वेद में आहार का महत्व (Importance of Diet in Ayurveda)

आयुर्वेद में आहार को स्वास्थ्य का आधार माना गया है। इसका मानना है कि जो भोजन हम ग्रहण करते हैं, वह न केवल हमारे शरीर को ऊर्जा और पोषण प्रदान करता है, बल्कि हमारे मन और आत्मा को भी प्रभावित करता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में कहा गया है, "आहार से ही सभी रोगों का उपचार संभव है और आहार से ही सभी रोग उत्पन्न होते हैं।" इसलिए सही आहार का चयन और उसका संतुलित सेवन स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


आहार की तीन श्रेणियाँ: सात्त्विक, राजसिक, तामसिक (Three Categories of Food: Sattvic, Rajasic, Tamasic)


सात्त्विक आहार (Sattvic Food):

  • परिभाषा: सात्त्विक आहार को शुद्ध, हल्का और ताजगी देने वाला माना जाता है। यह आहार मन और शरीर दोनों के लिए शांति और स्थिरता प्रदान करता है।

  • उदाहरण: ताजे फल, हरी सब्जियाँ, साबुत अनाज, दूध, दही, नट्स, शहद, और सादा पानी।

  • लाभ: यह आहार शरीर को ऊर्जा, मानसिक स्पष्टता, और आध्यात्मिक विकास प्रदान करता है। सात्त्विक आहार का सेवन करने से व्यक्ति का मन शांत और सकारात्मक रहता है।

राजसिक आहार (Rajasic Food):

  • परिभाषा: राजसिक आहार स्वादिष्ट, मसालेदार, और उतेजक होता है, जो शरीर और मन को उत्तेजना और ऊर्जा प्रदान करता है।

  • उदाहरण: मसालेदार खाना, चाय, कॉफी, तले हुए खाद्य पदार्थ, प्याज, लहसुन, और चॉकलेट।

  • लाभ: राजसिक आहार तेजी से ऊर्जा प्रदान करता है और शारीरिक गतिविधियों में उत्तेजना लाता है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन मानसिक अशांति और शारीरिक समस्याओं का कारण बन सकता है।

तामसिक आहार (Tamasic Food):

  • परिभाषा: तामसिक आहार भारी, बासी, और अपचनीय होता है, जो शरीर और मन को आलसी और निष्क्रिय बना देता है।

  • उदाहरण: बासी भोजन, मांस, शराब, तला-भुना खाना, और अधिक तैलीय पदार्थ।

  • हानि: तामसिक आहार शरीर में जड़ता, आलस, और नकारात्मकता लाता है। इसका अत्यधिक सेवन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।

संतुलित आहार का महत्व (Importance of Balanced Diet):

आयुर्वेद में संतुलित आहार को स्वास्थ्य का मूल मंत्र माना गया है। संतुलित आहार में सभी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, और मिनरल्स उचित मात्रा में शामिल होने चाहिए। यह आहार शरीर के दोषों (वात, पित्त, कफ) को संतुलित रखने में मदद करता है, जिससे शरीर की ऊर्जा और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। संतुलित आहार न केवल शरीर को मजबूत बनाता है, बल्कि मानसिक शांति और स्थिरता भी प्रदान करता है।



शरीर के दोषों (वात, पित्त, कफ) के अनुसार आहार (Diet According to Body Doshas - Vata, Pitta, Kapha):


वात दोष के लिए आहार (Diet for Vata Dosha):


  • लक्षण: वात दोष से पीड़ित व्यक्तियों में शुष्क त्वचा, ठंड लगना, अनियमित पाचन, और चिंता की प्रवृत्ति होती है।

  • अनुशंसित आहार: गर्म, नम, और उर्जा देने वाले भोजन का सेवन करें। साबुत अनाज, तिल का तेल, घी, और सूखे मेवे जैसे खाद्य पदार्थ लाभकारी होते हैं। मसालों में अदरक, लहसुन, और हल्दी का उपयोग करना चाहिए।

  • बचने वाले आहार: ठंडे और सूखे खाद्य पदार्थ, बासी भोजन, और अत्यधिक कड़वे या कसैले पदार्थों से बचें।

पित्त दोष के लिए आहार (Diet for Pitta Dosha):


  • लक्षण: पित्त दोष से पीड़ित व्यक्तियों में अत्यधिक पसीना, जलन, गर्मी, और चिड़चिड़ापन होता है।

  • अनुशंसित आहार: ठंडा, ताजगी भरा, और मीठे खाद्य पदार्थ का सेवन करें। तरल पदार्थ, सौंफ, धनिया, और मीठे फल जैसे खाद्य पदार्थ फायदेमंद होते हैं।

  • बचने वाले आहार: मसालेदार, तले हुए, और खट्टे खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि ये पित्त को बढ़ा सकते हैं।


कफ दोष के लिए आहार (Diet for Kapha Dosha):


  • लक्षण: कफ दोष से पीड़ित व्यक्तियों में वजन बढ़ना, सुस्ती, और सांस संबंधी समस्याएं होती हैं।

  • अनुशंसित आहार: हल्के, सूखे, और गरम खाद्य पदार्थ का सेवन करें। ताजे फल, हरी सब्जियाँ, मसालेदार भोजन, और शहद का सेवन करें।

  • बचने वाले आहार: भारी, तैलीय, और मीठे खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि ये कफ को बढ़ा सकते हैं।

इस प्रकार, आयुर्वेद में आहार का महत्व अत्यधिक है, और शरीर की प्रकृति के अनुसार आहार का चयन करना स्वस्थ जीवन की कुंजी है। Proper diet tailored to individual doshas helps in maintaining a balanced and disease-free life, in line with Ayurvedic principles.


स्वस्थ जीवन के लिए उचित आहार (Proper Diet for a Healthy Life)

आयुर्वेद के अनुसार, उचित आहार का चयन और सेवन स्वास्थ्य का आधार है। सही आहार से शरीर और मन दोनों को ऊर्जा, संतुलन, और रोगों से लड़ने की शक्ति मिलती है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए सात्त्विक आहार का महत्व सबसे अधिक होता है। सात्त्विक आहार न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक स्थिरता भी प्रदान करता है।


सात्त्विक आहार (Sattvic Diet):

सात्त्विक आहार को आयुर्वेद में सबसे शुद्ध और उत्तम आहार माना गया है। यह आहार व्यक्ति के शरीर, मन, और आत्मा के बीच संतुलन बनाकर उसे ऊर्जावान और शांतिपूर्ण बनाए रखता है। सात्त्विक आहार प्राकृतिक, ताजे, और पौष्टिक खाद्य पदार्थों पर आधारित होता है।


ताजे फल और सब्जियां (Fresh Fruits and Vegetables):


  • महत्व: ताजे फल और सब्जियां प्राकृतिक पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें विटामिन, मिनरल्स, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और बीमारियों से लड़ने में मदद करते हैं।

  • उदाहरण: सेब, केला, संतरा, पपीता, पालक, लौकी, गाजर, और टमाटर जैसी सब्जियां और फल सात्त्विक आहार का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनका सेवन करने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और मन शांत रहता है।

दही, घी, दूध जैसे डेयरी उत्पाद (Dairy Products like Yogurt, Ghee, Milk):


  • महत्व: डेयरी उत्पादों को आयुर्वेद में सात्त्विक आहार का हिस्सा माना जाता है, क्योंकि ये शरीर को पोषण और ऊर्जा प्रदान करते हैं।

  • दही: पाचन को सुधारने में मदद करता है और आंतों की सेहत के लिए लाभकारी होता है।

  • घी: पाचन शक्ति को बढ़ाता है, शरीर की त्वचा को पोषण देता है, और मस्तिष्क को शांति प्रदान करता है।

  • दूध: प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर होता है, जो हड्डियों और मांसपेशियों के लिए आवश्यक है। दूध को शांति और स्थिरता प्रदान करने वाला भोजन माना जाता है।

साबुत अनाज और दलहन (Whole Grains and Pulses):


  • महत्व: साबुत अनाज और दलहन संतुलित आहार का मुख्य आधार होते हैं। इनमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, और फाइबर की मात्रा प्रचुर होती है, जो शरीर को आवश्यक ऊर्जा और पोषण प्रदान करती है।

  • उदाहरण: चावल, गेहूं, ज्वार, बाजरा, दालें (मूंग, अरहर, चना), और राजमा। ये सभी शरीर की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करते हैं और पाचन को मजबूत बनाते हैं।

शुद्ध और पौष्टिक भोजन का महत्व (Importance of Pure and Nutritious Food):


  • महत्व: आयुर्वेद में शुद्ध और पौष्टिक भोजन का अत्यधिक महत्व है। शुद्ध भोजन वह होता है जो ताजा, बिना मिलावट का, और प्राकृतिक रूप से तैयार किया गया हो।

  • लाभ: शुद्ध और पौष्टिक भोजन शरीर को स्वस्थ, मन को शांत, और आत्मा को संतुलित बनाए रखता है। यह शरीर की कोशिकाओं को पुनर्जीवित करता है और रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है। पौष्टिक भोजन से शरीर को सही मात्रा में विटामिन, मिनरल्स, और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं, जो दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।

सात्त्विक आहार के लाभ:

  • शारीरिक स्वास्थ्य: सात्त्विक आहार शरीर को पोषण प्रदान करता है, पाचन को सुधारता है, और शरीर को स्वस्थ रखता है।

  • मानसिक शांति: यह आहार मानसिक स्पष्टता और शांति प्रदान करता है, जिससे तनाव और चिंता कम होते हैं।

  • आध्यात्मिक विकास: सात्त्विक आहार आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनाता है।

  • रोग प्रतिरोधक क्षमता: यह आहार शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे व्यक्ति कम बीमार पड़ता है।

स्वास्थ्य समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे (Ayurvedic Remedies for Health Issues)

आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और घरेलू उपायों का विशेष स्थान है। ये नुस्खे न केवल शरीर के भीतर संतुलन बनाए रखते हैं, बल्कि बिना किसी साइड इफेक्ट के स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान भी करते हैं। यहाँ पाचन, त्वचा, वजन घटाने, और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक नुस्खे दिए जा रहे हैं।

1. पाचन संबंधी समस्याओं के लिए नुस्खे (Remedies for Digestive Problems):

पाचन तंत्र का सही कार्य करना स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। अगर पाचन सही नहीं है, तो यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है। आयुर्वेद में पाचन संबंधी समस्याओं के लिए कुछ प्रभावी नुस्खे निम्नलिखित हैं:

अदरक और नींबू का रस: भोजन से पहले ताजे अदरक के छोटे टुकड़े पर नींबू का रस और थोड़ा सा नमक डालकर सेवन करने से पाचन शक्ति बढ़ती है और अपच की समस्या से राहत मिलती है।

त्रिफला: त्रिफला चूर्ण रात को सोने से पहले गर्म पानी के साथ लेने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और कब्ज जैसी समस्या से छुटकारा मिलता है।

हींग और अजवाइन: पेट में गैस बनने की समस्या में हींग और अजवाइन का सेवन करना लाभकारी होता है। 1/2 चम्मच अजवाइन और चुटकी भर हींग को गर्म पानी के साथ लेने से अपच और पेट फूलने की समस्या दूर होती है।

जीरा और सौंफ का सेवन: भोजन के बाद 1/2 चम्मच जीरा और सौंफ को चबाने से पाचन क्रिया में सुधार होता है। यह पेट के भारीपन और एसिडिटी को भी कम करता है।

2. त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए उपाय (Remedies for Skin Problems):

त्वचा का स्वास्थ्य भी हमारे आहार और जीवनशैली पर निर्भर करता है। आयुर्वेद में त्वचा संबंधी समस्याओं के लिए कुछ उपयोगी उपाय दिए गए हैं:

नीम और हल्दी: नीम और हल्दी को त्वचा की समस्याओं के लिए आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के रूप में जाना जाता है। नीम की पत्तियों को पीसकर उसका पेस्ट बनाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा के कील-मुहांसे और दाग-धब्बे दूर होते हैं। हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं।

एलोवेरा जेल: ताजे एलोवेरा जेल को सीधे त्वचा पर लगाने से त्वचा की नमी बनी रहती है और यह सूजन, जलन, और खुजली जैसी समस्याओं को दूर करता है।

चंदन पाउडर: चंदन पाउडर और गुलाब जल का मिश्रण बनाकर लगाने से त्वचा को ठंडक मिलती है और यह प्राकृतिक रूप से चमकदार बनती है।

मुल्तानी मिट्टी: मुल्तानी मिट्टी का फेस पैक चेहरे की गंदगी और अतिरिक्त तेल को हटाने में मदद करता है, जिससे त्वचा साफ और ताजगी भरी रहती है।

3. वजन घटाने के लिए आयुर्वेदिक टिप्स (Ayurvedic Tips for Weight Loss):

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से वजन घटाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है शरीर के दोषों को संतुलित करना और सही आहार एवं दिनचर्या का पालन करना। यहाँ कुछ आयुर्वेदिक टिप्स दिए गए हैं:

गर्म पानी का सेवन: सुबह उठते ही खाली पेट गुनगुना पानी पीने से शरीर का मेटाबॉलिज्म बढ़ता है और वसा कम होती है। दिनभर पर्याप्त मात्रा में पानी पीना भी जरूरी है।

त्रिफला चूर्ण: त्रिफला चूर्ण रात में सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लेने से शरीर से विषाक्त पदार्थ निकलते हैं और वजन घटाने में मदद मिलती है।

मेथी के बीज: रात को सोने से पहले मेथी के बीज पानी में भिगोकर रख दें और सुबह खाली पेट इस पानी को पिएं। इससे मेटाबॉलिज्म तेज होता है और वजन घटाने में सहायता मिलती है।

व्यायाम और योग: आयुर्वेद में नियमित व्यायाम और योग करने की सलाह दी जाती है। सूर्य नमस्कार, कपालभाति, और अनुलोम-विलोम जैसे योगासन वजन घटाने में सहायक होते हैं।

4. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय (Ways to Boost Immunity):

रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है। आयुर्वेद में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ विशेष उपाय दिए गए हैं:

आंवला: आंवला विटामिन सी का अच्छा स्रोत है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। आंवला को किसी भी रूप में, चाहे जूस के रूप में या सूखे आंवले के रूप में, रोजाना सेवन करना लाभकारी होता है।

अश्वगंधा: अश्वगंधा एक आयुर्वेदिक हर्ब है, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और मानसिक तनाव को कम करता है। इसका सेवन दूध या पानी के साथ किया जा सकता है।

तुलसी के पत्ते: तुलसी के पत्तों को रोजाना चबाने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है और यह सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं से बचाव करता है।

गोल्डन मिल्क (हल्दी वाला दूध): हल्दी में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। रात में सोने से पहले हल्दी वाला दूध पीने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

छवनप्राश: छवनप्राश का नियमित सेवन शरीर को मजबूत और इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद करता है। यह आयुर्वेदिक टॉनिक है जो शरीर को संपूर्ण पोषण प्रदान करता है।

आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का महत्व (Importance of Ayurvedic Herbs)


आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये जड़ी-बूटियाँ न केवल स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करती हैं, बल्कि वे शरीर और मन को संतुलित और मजबूत बनाने में भी सहायक होती हैं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ प्राकृतिक औषधियाँ हैं जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों और स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्रभावी उपचार प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और उनके उपयोगों के बारे में।


1. तुलसी (Tulsi):

परिचय: तुलसी, जिसे 'हoly Basil' के नाम से भी जाना जाता है, आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इसे 'तुलसी माता' का दर्जा प्राप्त है और इसे स्वास्थ्य के लिए अमृत माना जाता है।


लाभ:

इम्यूनिटी बढ़ाना: तुलसी के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

सर्दी और खांसी: तुलसी का सेवन सर्दी, खांसी, और श्वसन संक्रमण में राहत प्रदान करता है। तुलसी की चाय पीने से गले की सूजन और दर्द कम होता है।

मानसिक तनाव: तुलसी तनाव और चिंता को कम करने में मदद करती है। इसके सेवन से मानसिक स्पष्टता और शांति प्राप्त होती है।


उपयोग:

तुलसी की पत्तियाँ ताजे या सूखे रूप में चाय, काढ़ा, या अन्य औषधीय मिश्रण में उपयोग की जाती हैं।

तुलसी के तेल का भी उपयोग त्वचा और बालों की देखभाल में किया जाता है।


2. हल्दी (Turmeric):

परिचय: हल्दी, जिसे आयुर्वेद में 'हल्दी' और 'सुपरफूड' के रूप में जाना जाता है, अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए प्रसिद्ध है।


लाभ:

सूजन और दर्द: हल्दी में कर्क्यूमिन नामक यौगिक होता है जो सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है।

पाचन: यह पाचन को सुधारने और पेट के समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है।

त्वचा: हल्दी का उपयोग त्वचा के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है। यह त्वचा के दाग-धब्बे और रंगत को सुधारता है।


उपयोग:

हल्दी को दूध, चाय, या काढ़ा में मिलाकर पीने से स्वास्थ्य लाभ होता है।

इसे चेहरे पर पैक के रूप में लगाने से त्वचा की समस्याओं में राहत मिलती है।


3. अश्वगंधा (Ashwagandha):

परिचय: अश्वगंधा, जिसे 'विंटेज' भी कहते हैं, एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो शरीर को स्फूर्ति और ऊर्जा प्रदान करती है।


लाभ:

स्ट्रेस रिलीफ: अश्वगंधा को तनाव और चिंता को कम करने के लिए जाना जाता है। यह शरीर को तनावपूर्ण परिस्थितियों के प्रति सहनशील बनाता है।

ऊर्जा और स्फूर्ति: यह शरीर की ऊर्जा और स्फूर्ति को बढ़ाती है और थकावट को कम करती है।

नींद: अश्वगंधा का सेवन नींद की गुणवत्ता को सुधारता है और अनिद्रा की समस्या में मदद करता है।


उपयोग:

अश्वगंधा चूर्ण को दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है।

इसे कैप्सूल के रूप में भी सेवन किया जाता है, जो बाजार में उपलब्ध होते हैं।


4. रोग निवारण के लिए प्राकृतिक औषधियाँ (Natural Remedies for Disease Prevention):

गिलोय (Giloy):


लाभ: गिलोय को 'अमृत' कहा जाता है और इसका उपयोग इम्यूनिटी बढ़ाने, बुखार और सूजन को कम करने के लिए किया जाता है।

उपयोग: गिलोय की चाय या काढ़ा पीने से प्रतिरक्षा प्रणाली को सुदृढ़ किया जा सकता है।


शहद और अदरक:

लाभ: शहद और अदरक का मिश्रण सर्दी, खांसी और गले की समस्याओं में लाभकारी होता है।

उपयोग: अदरक का रस और शहद मिलाकर सेवन करने से ताजगी मिलती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।


नीम (Neem):

लाभ: नीम के पत्ते और तेल त्वचा की समस्याओं, जैसे कि कील-मुहांसे और संक्रमण, के लिए उपयोगी होते हैं।

उपयोग: नीम की पत्तियों का पेस्ट या नीम तेल त्वचा पर लगाने से लाभ होता है।


अनार (Pomegranate):

लाभ: अनार के बीज और रस में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो हृदय स्वास्थ्य को सुधारते हैं और कोशिकाओं को नुकसान से बचाते हैं।

उपयोग: अनार का रस पीने से शरीर को आवश्यक विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं।


निष्कर्ष (Conclusion)

आयुर्वेदिक आहार और दिनचर्या का पालन करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन भी प्राप्त होता है। आयुर्वेद एक सम्पूर्ण चिकित्सा प्रणाली है जो हमें प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ और सुसंस्कृत जीवन जीने का मार्गदर्शन करती है। यहाँ इस लेख के प्रमुख बिंदुओं का संक्षिप्त सारांश प्रस्तुत है:


स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेदिक आहार और दिनचर्या का पालन:

आयुर्वेदिक आहार और दिनचर्या का पालन करना एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक है। आयुर्वेद में आहार को तीन श्रेणियों में बांटा गया है—सात्त्विक, राजसिक, और तामसिक—और प्रत्येक श्रेणी के खाद्य पदार्थों का स्वास्थ्य पर विभिन्न प्रभाव होता है। सात्त्विक आहार, जिसमें ताजे फल, सब्जियाँ, डेयरी उत्पाद, और साबुत अनाज शामिल हैं, शरीर को ऊर्जा और पोषण प्रदान करता है और मानसिक शांति का समर्थन करता है।


सही दिनचर्या, जैसे कि नियमित व्यायाम, योग, और पर्याप्त नींद, भी स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आयुर्वेद के अनुसार, दिन की शुरुआत और अंत में किए गए सही आचरण से शरीर और मन को संतुलित किया जा सकता है।


मानसिक और शारीरिक संतुलन का महत्व:

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, मानसिक और शारीरिक संतुलन स्वास्थ्य की कुंजी है। शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक शांति भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद में संतुलित आहार, उचित दिनचर्या, और तनाव प्रबंधन के उपायों का संयोजन मानसिक स्पष्टता, शांति, और समग्र भलाई को प्रोत्साहित करता है।


मानसिक संतुलन: तनाव, चिंता, और अवसाद को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेदिक उपायों का पालन करना जैसे कि तुलसी, अश्वगंधा, और ध्यान अभ्यास, मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।

शारीरिक संतुलन: आयुर्वेदिक आहार और नियमित व्यायाम से शरीर की ऊर्जा स्तर को बनाए रखा जा सकता है, पाचन तंत्र को मजबूत किया जा सकता है, और संपूर्ण शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।


आयुर्वेद को जीवन में अपनाने के लाभ:

आयुर्वेद को जीवन में अपनाने के कई लाभ हैं:


प्राकृतिक उपचार: आयुर्वेद में प्राकृतिक औषधियों और जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता है, जो बिना किसी साइड इफेक्ट के स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान प्रदान करती हैं।


रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार: आयुर्वेदिक नुस्खे और आहार से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, जिससे बीमारियों से बचाव होता है।


दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ: आयुर्वेदिक आहार और जीवनशैली के नियमित पालन से दीर्घकालिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं, जिससे एक लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में मदद मिलती है।


संतुलित जीवन: आयुर्वेद का पालन करने से शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक संतुलन बनाए रखा जा सकता है, जो समग्र जीवन की गुणवत्ता को सुधारता है।


अंत में:

Ayurvedic Health Tips for a Healthy Life: Proper Diet and Routine आयुर्वेद एक प्राचीन और पूर्ण चिकित्सा प्रणाली है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित और समृद्ध बनाती है। आयुर्वेदिक आहार, दिनचर्या, और नुस्खे जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए एक प्राकृतिक और प्रभावी तरीका प्रदान करते हैं। आयुर्वेद को अपनाकर, हम एक स्वस्थ, संतुलित, और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।


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 आयुर्वेदिक जीवनशैली: उम्र बढ़ने के असर को कम करने के तरीके आज की भागदौड़ भरी जीवनशैली और तनावपूर्ण दिनचर्या के कारण उम्र बढ़ने के लक्षण जल्दी दिखाई देने लगते हैं। त्वचा पर झुर्रियां, शारीरिक कमजोरी, मानसिक थकावट और ऊर्जा की कमी जैसे बदलाव उम्र बढ़ने के संकेत होते हैं। हालाँकि, आयुर्वेद में कई ऐसे उपाय हैं जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं और आपको लंबे समय तक स्वस्थ और ऊर्जावान बनाए रख सकते हैं। आयुर्वेद, जो हज़ारों साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है, न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन को भी बनाए रखती है। यहां आयुर्वेदिक जीवनशैली के कुछ महत्वपूर्ण पहलू दिए जा रहे हैं जो उम्र बढ़ने के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकते हैं:

WellHealth Ayurvedic tips Doctors and medicines in Hindi

 स्वस्थ जीवन जीने की चाहत हर व्यक्ति की होती है, लेकिन अक्सर हम अपने दिनचर्या में कुछ ऐसे छोटे-छोटे बदलाव कर सकते हैं, WellHealth Ayurvedic tips के अनुसार  जो हमारे स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकते हैं। यहां हम पांच महत्वपूर्ण आदतों के बारे में चर्चा करेंगे जिन्हें अपनाकर आप स्वस्थ रह सकते हैं और डॉक्टर और दवाइयों की जरूरत को कम कर सकते हैं। 1. संतुलित आहार संतुलित आहार का सेवन स्वस्थ जीवन की आधारशिला है। इसका मतलब है कि आप अपने भोजन में सभी आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करें। आपके आहार में प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फाइबर, और स्वस्थ वसा का उचित संतुलन होना चाहिए। फल और सब्जियां: ये विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती हैं। हर दिन विभिन्न रंगों की सब्जियां और फल खाएं। अनाज: साबुत अनाज जैसे कि ब्राउन राइस, ओट्स, और क्विनोआ का सेवन करें। प्रोटीन: दालें, नट्स, बीन्स, और मछली का सेवन करें। संतुलित आहार न केवल आपके वजन को नियंत्रित रखेगा, बल्कि आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाएगा। 2. नियमित व्यायाम शारीरिक गतिविधि आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर...

Ayurvedic ways: Tips to reduce stress and tension

 आधुनिक जीवनशैली के साथ-साथ स्ट्रेस और तनाव एक आम समस्या बन चुकी है। काम का दबाव, रिश्तों की समस्याएं, और अन्य जिम्मेदारियां मानसिक तनाव को बढ़ा सकती हैं। हालांकि, आयुर्वेद में तनाव और स्ट्रेस को कम करने के लिए कई प्रभावी और प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं। यह प्राचीन चिकित्सा पद्धति संतुलन और शांति पर आधारित है और हमें मानसिक और शारीरिक सेहत को बनाए रखने में मदद करती है। आइए जानते हैं कुछ आयुर्वेदिक तरीके जो स्ट्रेस और तनाव को कम करने में सहायक होते हैं: Ayurvedic Remedies: उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के उपाय⛑️💊 Ayurvedic ways: Tips to reduce stress and tension in Hind 1. अभ्यंग (तिल का तेल मालिश) अभ्यंग, यानी तेल मालिश, आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण उपचार है। नियमित रूप से तिल के तेल से शरीर की मालिश करने से शरीर और मन दोनों को शांति मिलती है। तिल के तेल में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो तनाव को कम करने में मदद करते हैं और मस्तिष्क को आराम देते हैं। मालिश करने से रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे मानसिक तनाव भी कम होता है। कैसे करें: हफ्ते में दो से तीन बार सुबह या शाम तिल के तेल से ...

आयुर्वेदिक उपाय: पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के तरीके

 पाचन तंत्र हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य पर सीधा असर डालता है। जब पाचन तंत्र ठीक से काम करता है, तो शरीर को आवश्यक पोषक तत्व आसानी से मिलते हैं और हम स्वस्थ रहते हैं। लेकिन आज के समय में बदलते खानपान, तनाव और खराब जीवनशैली के कारण पाचन तंत्र कमजोर होने लगता है, जिससे गैस, एसिडिटी, कब्ज और अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इस लेख में हम कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बात करेंगे, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। आयुर्वेदिक नुस्खे: त्वचा की समस्याओं के लिए घरेलू उपचार आयुर्वेदिक उपचार: सर्दी और फ्लू से बचने के घरेलू उपाय 1. त्रिफला का सेवन त्रिफला, एक प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है, जो आंवला, हरड़ और बहेड़ा के मिश्रण से बनी होती है। इसका नियमित सेवन पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पेट की सफाई में मदद करता है। त्रिफला के सेवन से आंतों की गति को सही बनाए रखा जा सकता है, जिससे कब्ज की समस्या दूर होती है। इसे रात में सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ लिया जा सकता है। 2. अदरक का उपयोग अदरक का उपयोग पाचन के लिए बहुत लाभदायक माना जाता है...

आयुर्वेदिक उपचार: सर्दी और फ्लू से बचने के घरेलू उपाय

 सर्दी और फ्लू के मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे हमें बार-बार सर्दी-खांसी और बुखार का सामना करना पड़ता है। आधुनिक चिकित्सा में सर्दी और फ्लू के इलाज के लिए कई दवाएं हैं, लेकिन ये केवल लक्षणों से राहत देती हैं, जबकि आयुर्वेद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर इन बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इस लेख में हम सर्दी और फ्लू से बचने के कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू उपायों के बारे में जानेंगे। आयुर्वेदिक उपाय: पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के तरीके 1. अदरक और शहद का सेवन अदरक और शहद का मिश्रण सर्दी और खांसी से राहत दिलाने में बेहद असरदार होता है। अदरक में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो शरीर को संक्रमण से बचाते हैं, वहीं शहद में मौजूद प्राकृतिक एंजाइम इम्युनिटी को मजबूत करते हैं। उपयोग का तरीका: अदरक के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज सुबह खाली पेट लें। इससे सर्दी-खांसी में आराम मिलेगा और गले की खराश भी ठीक होगी। 2. तुलसी और गिलोय का काढ़ा तुलसी और गिलोय दोनों ही आयुर्वेद में विशेष महत्व रखते हैं। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो...

आयुर्वेदिक नुस्खे: त्वचा की समस्याओं के लिए घरेलू उपचार

 त्वचा हमारे शरीर का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण अंग है, जो न केवल बाहरी सौंदर्य को निखारता है, बल्कि यह शरीर की कई अंदरूनी क्रियाओं को भी प्रभावित करता है। बदलते मौसम, खराब खान-पान, प्रदूषण, तनाव और उम्र के कारण त्वचा पर कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। आजकल अधिकतर लोग त्वचा की समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जिसमें झुर्रियां, पिगमेंटेशन, कील-मुंहासे, सूखापन और अन्य परेशानियाँ शामिल हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में त्वचा की समस्याओं का समाधान प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और घरेलू नुस्खों के माध्यम से किया जाता है। आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से, त्वचा को स्वस्थ और निखरी हुई बनाने के लिए शरीर का संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। नीचे कुछ ऐसे आयुर्वेदिक नुस्खे दिए गए हैं जो त्वचा की विभिन्न समस्याओं के समाधान में सहायक हैं। Ayurvedic Health Tips:अच्छे नींद के लिए प्रभावी उपाय आयुर्वेदिक उपाय: पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के तरीके 1. हल्दी और दूध का फेस पैक हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो त्वचा पर मुंहासों को कम करने में मदद करते हैं। दूध त्वचा को मॉइस्चराइज़ करता है और उसकी चमक को बढ़ाता...

WellHealth Ayurvedic Health Tips for healthy living in Hindi

 आयुर्वेद भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जिसे सदियों से स्वस्थ जीवन जीने का मार्गदर्शक माना गया है। यह केवल रोगों के उपचार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित करता है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में आयुर्वेदिक स्वास्थ्य टिप्स अपनाकर हम अपने जीवन को संतुलित और रोगमुक्त रख सकते हैं। इस लेख में हम WellHealth Ayurvedic Health के अंतर्गत कुछ महत्वपूर्ण स्वस्थ जीवन के टिप्स पर चर्चा करेंगे, जो आपको शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाएंगे। 1. नीम के पत्तों का सेवन नीम को आयुर्वेद में एक चमत्कारी औषधि के रूप में माना जाता है। नीम के पत्तों का सेवन आपकी त्वचा को साफ़ और चमकदार बनाता है। यह खून को साफ करने, इम्यून सिस्टम को मजबूत करने और कई प्रकार की त्वचा समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। सुबह खाली पेट नीम के पत्तों का सेवन करना विशेष रूप से लाभकारी होता है। नीम के पत्तों के लाभ : त्वचा की देखभाल: नीम के पत्तों का सेवन मुंहासों, दाग-धब्बों, और अन्य त्वचा समस्याओं को दूर करता है। डायबिटीज में सहायक: नीम का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्...

WellHealth Ayurvedic Health Tips Zandu Triphala in Hindi

 आयुर्वेदिक चिकित्सा प्राचीन समय से ही भारत में स्वस्थ जीवन जीने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही है। आयुर्वेद में प्राकृतिक तत्वों का WellHealth Ayurvedic Health Tips के अनुसार उपयोग करके शरीर की देखभाल की जाती है, और यह शरीर को बिना किसी दुष्प्रभाव के स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इस आर्टिकल में, हम Zandu Triphala Bowel Wellness के बारे में विस्तार से जानेंगे, जो कि आयुर्वेदिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण उत्पाद है। Zandu Triphala Bowel Wellness क्या है? Zandu Triphala Bowel Wellness, Zandu कंपनी द्वारा तैयार किया गया एक आयुर्वेदिक उत्पाद है, जो मुख्य रूप से पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने के लिए बनाया गया है। इसका मुख्य घटक त्रिफला है, जो आंवला, बहेड़ा, और हरड़ के संयोजन से तैयार होता है। त्रिफला आयुर्वेद में एक शक्तिशाली रसायन माना जाता है, जो शरीर की कई समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। Zandu Triphala Bowel Wellness के फायदे 1. पाचन में सुधार Zandu Triphala Bowel Wellness पाचन तंत्र के कार्य को सुधारने में सहायक है। यह पेट की सफाई करता है, और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाता है। त्रि...

WellHealth Ayurvedic tips 5 health tips life in Hindi

 स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। जीवन में खुशहाल और स्वस्थ रहने के लिए नियमित देखभाल की आवश्यकता होती है। निम्नलिखित पांच स्वास्थ्य सुझाव WellHealth Ayurvedic tips के अनुसार आपके जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं। इन सुझावों को अपनाकर आप दीर्घकालिक स्वास्थ्य और खुशी प्राप्त कर सकते हैं। 1. संतुलित आहार स्वास्थ्य के लिए संतुलित आहार अत्यंत महत्वपूर्ण है। सही मात्रा में विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन, और कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन शरीर के समुचित कार्य के लिए आवश्यक है। आपके आहार में फल, सब्जियाँ, साबुत अनाज, दालें, और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ शामिल होने चाहिए। फल और सब्जियाँ आपके शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाती हैं। इसके अलावा, सही मात्रा में पानी पीना भी आवश्यक है, जिससे शरीर हाइड्रेटेड रहता है और विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं। 2. नियमित व्यायाम स्वस्थ जीवन के लिए नियमित व्यायाम आवश्यक है। रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि आपके दिल, मांसपेशियों और हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करती है। व्यायाम करने से शरीर में...

WellHealth Ayurvedic tips Dabur Triphala Churna in Hindi

 आयुर्वेदिक उपचारों का महत्व और प्राचीन काल से स्वास्थ्य के लिए उनके उपयोग की प्रासंगिकता WellHealth Ayurvedic Health Tips  के अनुसार आज भी कायम है। आधुनिक जीवनशैली में जहाँ तनाव, असंतुलित आहार, और शारीरिक सक्रियता की कमी है, ऐसे में आयुर्वेदिक उपचार एक संजीवनी का कार्य करते हैं। आयुर्वेद के इन चमत्कारी औषधियों में से एक है डाबर त्रिफला चूर्ण। इस लेख में हम डाबर त्रिफला चूर्ण की समीक्षा करेंगे और इसके स्वास्थ्य लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। Ayurvedic Medicine - Dabur Triphala Churna for Indigestion & Constipatio डाबर त्रिफला चूर्ण का परिचय त्रिफला चूर्ण, जैसा कि नाम से पता चलता है, तीन प्रमुख फलों - आंवला, बिभीतक और हरड़ से बना एक आयुर्वेदिक चूर्ण है। त्रिफला का शाब्दिक अर्थ है 'तीन फल', और इन तीन फलों को आयुर्वेदिक चिकित्सा में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। डाबर त्रिफला चूर्ण एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक ब्रांड 'डाबर' द्वारा निर्मित है, जो प्राकृतिक और शुद्ध आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से तैयार किया जाता है। डाबर त्रिफला चूर्ण के स्वास्थ्य लाभ पाचन में सुधार त्रिफला चू...