सर्दी और फ्लू के मौसम में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे हमें बार-बार सर्दी-खांसी और बुखार का सामना करना पड़ता है। आधुनिक चिकित्सा में सर्दी और फ्लू के इलाज के लिए कई दवाएं हैं, लेकिन ये केवल लक्षणों से राहत देती हैं, जबकि आयुर्वेद शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर इन बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इस लेख में हम सर्दी और फ्लू से बचने के कुछ आयुर्वेदिक और घरेलू उपायों के बारे में जानेंगे। आयुर्वेदिक उपाय: पाचन तंत्र को मजबूत बनाने के तरीके 1. अदरक और शहद का सेवन अदरक और शहद का मिश्रण सर्दी और खांसी से राहत दिलाने में बेहद असरदार होता है। अदरक में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं जो शरीर को संक्रमण से बचाते हैं, वहीं शहद में मौजूद प्राकृतिक एंजाइम इम्युनिटी को मजबूत करते हैं। उपयोग का तरीका: अदरक के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर रोज सुबह खाली पेट लें। इससे सर्दी-खांसी में आराम मिलेगा और गले की खराश भी ठीक होगी। 2. तुलसी और गिलोय का काढ़ा तुलसी और गिलोय दोनों ही आयुर्वेद में विशेष महत्व रखते हैं। तुलसी में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो...
चने की दाल भारतीय रसोई में सबसे लोकप्रिय और पौष्टिक खाद्य पदार्थों में से एक है। यह दाल न केवल स्वाद में बेहतरीन होती है बल्कि इसके आयुर्वेदिक गुण और स्वास्थ्य लाभ भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। चने की दाल प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स से भरपूर होती है, जो इसे आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से भी एक अद्वितीय आहार विकल्प बनाती है। इस लेख में हम चने की दाल के आयुर्वेदिक लाभों और इससे जुड़ी स्वास्थ्य टिप्स के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। Ayurvedic Benefits of Elaichi (Health Tips) in Hindi Ayurvedic Benefits of BAEGAN (Health Tips) in Hindi चने की दाल का आयुर्वेद में महत्व (Importance of Chana Dal in Ayurveda) आयुर्वेद के अनुसार, चने की दाल वात, पित्त, और कफ दोषों को संतुलित करने में मदद करती है। यह शरीर को शीतलता प्रदान करती है और शरीर की ताकत को बढ़ाने का काम करती है। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेद में इसे पाचन को सुधारने, त्वचा को स्वस्थ बनाने, और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अत्यधिक उपयोगी माना गया है। चने की दाल के मुख्य पोषक तत्व (Key Nutrients in Chana Dal) चना दाल में निम्न...